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अकाउंटिंग केवल संख्याओं का संग्रह नहीं है; यह व्यवसाय के वित्तीय स्वास्थ्य को मापने और प्रबंधित करने का एक व्यवस्थित विज्ञान है। इसके सुनहरे नियम और डबल-एंट्री सिस्टम इसे एक मजबूत और विश्वसनीय ढांचा प्रदान करते हैं। यह न केवल मालिकों के लिए, बल्कि सभी हितधारकों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है। अगले अध्यायों में हम इन सिद्धांतों को और गहराई से समझेंगे और व्यावहारिक अनुप्रयोगों के साथ उनका उपयोग सीखेंगे।
अध्याय 1: अकाउंटिंग का परिचय
अकाउंटिंग की परिभाषा
अकाउंटिंग वह व्यवस्थित प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी व्यक्ति, व्यवसाय या संगठन के वित्तीय लेन-देन को रिकॉर्ड किया जाता है, उनका विश्लेषण किया जाता है और उनकी रिपोर्ट तैयार की जाती है। इसे "व्यवसाय की भाषा" कहा जाता है, क्योंकि यह वित्तीय गतिविधियों को संख्याओं के माध्यम से व्यक्त करती है और व्यवसाय की स्थिति को स्पष्ट करती है। अकाउंटिंग का उपयोग आय, व्यय और समग्र वित्तीय स्वास्थ्य को ट्रैक करने के लिए किया जाता है। यह एक छोटे दुकानदार से लेकर बड़े निगम तक, सभी के लिए आवश्यक है। बिना अकाउंटिंग के, यह समझना असंभव है कि व्यवसाय लाभ में है या हानि में।
उदाहरण: मान लीजिए एक दुकानदार ने एक दिन में 500 रुपये का सामान बेचा और 200 रुपये का नया माल खरीदा। अकाउंटिंग के बिना उसे यह नहीं पता होगा कि उसका शुद्ध लाभ 300 रुपये है। अकाउंटिंग इस अंतर को स्पष्ट करती है।
अकाउंटिंग के उद्देश्य
अकाउंटिंग के कई उद्देश्य हैं जो इसे व्यवसाय का अभिन्न अंग बनाते हैं:
व्यवस्थित रिकॉर्डिंग: सभी लेन-देन को तारीख, राशि और विवरण के साथ व्यवस्थित रूप से संग्रहित करना।
लाभ और हानि का निर्धारण: व्यवसाय के वित्तीय प्रदर्शन को मापना, ताकि यह पता चल सके कि वह लाभ कमा रहा है या हानि उठा रहा है।
कानूनी अनुपालन: कर प्राधिकरणों और नियामक संस्थाओं के लिए सटीक डेटा प्रदान करना, जिससे कानूनी आवश्यकताएँ पूरी हों।
निर्णय लेने में सहायता: मालिकों और प्रबंधकों को ऐसी जानकारी देना जो निवेश, विस्तार या लागत नियंत्रण के फैसलों में सहायक हो।
हितधारकों की जानकारी: निवेशक, लेनदार, कर्मचारी और सरकार को व्यवसाय की वित्तीय स्थिति से अवगत कराना।
अकाउंटिंग की विशेषताएँ
अकाउंटिंग एक कला और विज्ञान दोनों का संयोजन है। यह कला है, क्योंकि इसमें डेटा को उपयोगी और समझने योग्य रूप में प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है। यह विज्ञान है, क्योंकि यह निश्चित नियमों, सिद्धांतों और गणनाओं पर आधारित है। अकाउंटिंग केवल व्यवसाय के मालिकों के लिए ही नहीं, बल्कि कर्मचारियों, लेनदारों, निवेशकों और सरकार जैसे सभी हितधारकों के लिए उपयोगी है। यह पारदर्शिता, विश्वसनीयता और जवाबदेही सुनिश्चित करती है।
अकाउंटिंग के प्रकार
अकाउंटिंग को विभिन्न शाखाओं में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक का अपना उद्देश्य और कार्यक्षेत्र है:
वित्तीय लेखांकन (Financial Accounting): इसका मुख्य कार्य बाहरी हितधारकों—जैसे निवेशकों, बैंकों और सरकारी संस्थाओं—के लिए वित्तीय विवरण तैयार करना है। इसमें बैलेंस शीट, लाभ-हानि विवरण और नकदी प्रवाह विवरण शामिल होते हैं।
प्रबंधन लेखांकन (Management Accounting): यह आंतरिक प्रबंधन के लिए डेटा संकलन और विश्लेषण करता है, जैसे बजट तैयार करना, लागत नियंत्रण और भविष्य की योजना बनाना।
लागत लेखांकन (Cost Accounting): यह उत्पादन की लागत को मापने में सहायता करता है, जैसे कच्चे माल, श्रम और ओवरहेड्स का हिसाब।
कर लेखांकन (Tax Accounting): कर नियमों के अनुपालन और कर रिटर्न तैयार करने पर केंद्रित।
लेखा परीक्षा (Auditing): वित्तीय रिकॉर्ड की सटीकता और पारदर्शिता की जाँच करना इसका उद्देश्य है।
अकाउंटिंग के मूलभूत सिद्धांत
अकाउंटिंग को समझने के लिए कुछ बुनियादी अवधारणाएँ और नियम आवश्यक हैं। ये सिद्धांत इसकी नींव बनाते हैं:
डबल-एंट्री सिस्टम
यह अकाउंटिंग का मूल सिद्धांत है। इसमें प्रत्येक लेन-देन का दोहरा प्रभाव होता है और इसे दो खातों में रिकॉर्ड किया जाता है—डेबिट और क्रेडिट। यह प्रणाली संतुलन बनाए रखती है और त्रुटियों को पकड़ने में सहायक है।
उदाहरण: यदि कोई व्यवसाय 2,000 रुपये का सामान नकद बेचता है, तो नकदी खाते में 2,000 रुपये की वृद्धि (डेबिट) होगी और बिक्री खाते में भी 2,000 रुपये की वृद्धि (क्रेडिट) होगी।संपत्ति, दायित्व और इक्विटी
संपत्ति (Assets): वह संसाधन जो व्यवसाय के पास हैं, जैसे नकदी, मशीनरी, स्टॉक या भवन।
दायित्व (Liabilities): वह राशि जो व्यवसाय पर बकाया है, जैसे ऋण, बिल या उधार।
इक्विटी (Equity): मालिक का व्यवसाय में शुद्ध हिस्सा, जो संपत्ति और दायित्व के अंतर के बराबर होता है। यह समीकरण हमेशा संतुलित रहता है: संपत्ति = दायित्व + इक्विटी।
उदाहरण: यदि किसी व्यवसाय के पास 50,000 रुपये की संपत्ति है और 20,000 रुपये का ऋण है, तो उसकी इक्विटी 30,000 रुपये होगी।
डेबिट और क्रेडिट
प्रत्येक लेन-देन में एक डेबिट प्रविष्टि और एक क्रेडिट प्रविष्टि होती है। डेबिट वह है जो व्यवसाय में आता है या बढ़ता है, और क्रेडिट वह है जो व्यवसाय से जाता है या घटता है। यह नियम अकाउंटिंग के सुनहरे नियमों का आधार है।
अकाउंटिंग के सुनहरे नियम (Golden Rules of Accounting)
अकाउंटिंग में तीन सुनहरे नियम हैं जो हर लेन-देन को रिकॉर्ड करने की प्रक्रिया को सरल और व्यवस्थित बनाते हैं। ये नियम खातों को तीन श्रेणियों में विभाजित करते हैं—वास्तविक (Real), व्यक्तिगत (Personal), और नाममात्र (Nominal)—और प्रत्येक के लिए एक विशिष्ट नियम प्रदान करते हैं:
वास्तविक खाता (Real Account)
नियम: "जो आता है उसे डेबिट करो, जो जाता है उसे क्रेडिट करो।" (Debit what comes in, Credit what goes out.)
यह खाता संपत्ति जैसे नकदी, मशीनरी या स्टॉक से संबंधित होता है।
उदाहरण: यदि कोई व्यवसाय 10,000 रुपये नकद निवेश करता है, तो नकदी खाता डेबिट होगा (क्योंकि नकदी आई) और पूँजी खाता क्रेडिट होगा (क्योंकि यह मालिक से आया)। फिर, यदि 3,000 रुपये की मशीन बेची जाती है, तो नकदी खाता डेबिट होगा (पैसा आया) और मशीन खाता क्रेडिट होगा (संपत्ति गई)।
व्यक्तिगत खाता (Personal Account)
नियम: "प्राप्तकर्ता को डेबिट करो, देनेवाले को क्रेडिट करो।" (Debit the receiver, Credit the giver.)
यह खाता व्यक्तियों, कंपनियों या संस्थाओं से संबंधित होता है।
उदाहरण: यदि कोई ग्राहक 5,000 रुपये का सामान उधार पर लेता है, तो ग्राहक का खाता डेबिट होगा (वह प्राप्तकर्ता है) और बिक्री खाता क्रेडिट होगा (व्यवसाय ने सामान दिया)। जब ग्राहक 5,000 रुपये चुकाता है, तो नकदी खाता डेबिट होगा (पैसा आया) और ग्राहक का खाता क्रेडिट होगा (वह देनेवाला है)।
नाममात्र खाता (Nominal Account)
नियम: "सभी खर्चों और हानियों को डेबिट करो, सभी आय और लाभ को क्रेडिट करो।" (Debit all expenses and losses, Credit all incomes and gains.)
यह खाता आय, व्यय, लाभ और हानि से संबंधित होता है।
उदाहरण: यदि कोई व्यवसाय 1,000 रुपये का किराया देता है, तो किराया खाता डेबिट होगा (खर्च) और नकदी खाता क्रेडिट होगा (पैसा गया)। यदि 2,000 रुपये की बिक्री होती है, तो नकदी खाता डेबिट होगा (पैसा आया) और बिक्री खाता क्रेडिट होगा (आय)।
डबल-एंट्री सिस्टम का महत्व
डबल-एंट्री सिस्टम अकाउंटिंग का मूल आधार है। यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक लेन-देन दो खातों को प्रभावित करे, जिससे लेखांकन हमेशा संतुलित रहे। इस प्रणाली की खोज 15वीं शताब्दी में इतालवी गणितज्ञ लुका पैसियोली ने की थी, और यह आज भी विश्व भर में उपयोग की जाती है। यदि डेबिट और क्रेडिट का योग बराबर नहीं होता, तो यह संकेत देता है कि रिकॉर्डिंग में कहीं त्रुटि हुई है।
उदाहरण: एक व्यवसाय 15,000 रुपये का सामान नकद खरीदता है। यहाँ खरीद खाता डेबिट होगा (सामान आया) और नकदी खाता क्रेडिट होगा (पैसा गया)। दोनों पक्ष 15,000 रुपये पर संतुलित हैं।
TallyPrime: एक संपूर्ण Step by step गाइड
अध्याय 1: TallyPrime का परिचय और स्थापना
आज के डिजिटल युग में, व्यवसायों के लिए अपने वित्तीय लेन-देन को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। TallyPrime एक ऐसा शक्तिशाली सॉफ्टवेयर है जो लेखांकन, सूची प्रबंधन और वैधानिक अनुपालन को सरल बनाता है। यह अध्याय आपको TallyPrime को डाउनलोड, इंस्टॉल और सक्रिय करने की प्रक्रिया के माध्यम से मार्गदर्शन करेगा।
1.1 TallyPrime डाउनलोड करना
अपनी यात्रा शुरू करने के लिए, आपको सबसे पहले Tally Solutions की आधिकारिक वेबसाइट (https://tallysolutions.com) पर जाना होगा। वेबसाइट के मेनू में स्थित Download बटन पर क्लिक करें। इसके बाद, TallyPrime का चयन करें और Download Now पर क्लिक करें। ऐसा करने से, आपके सिस्टम पर एक सेटअप फ़ाइल (TallyPrime.exe) डाउनलोड होना शुरू हो जाएगी।
1.2 TallyPrime इंस्टॉल करना
जब डाउनलोड पूरा हो जाए, तो डाउनलोड की गई सेटअप फ़ाइल (TallyPrime.exe) पर डबल-क्लिक करें। एक इंस्टॉलेशन विंडो खुलेगी। इंस्टॉलेशन प्रक्रिया शुरू करने के लिए Install Now पर क्लिक करें। सॉफ्टवेयर आवश्यक फ़ाइलों को आपके कंप्यूटर पर कॉपी करना शुरू कर देगा। इंस्टॉलेशन में कुछ समय लग सकता है। एक बार प्रक्रिया पूरी हो जाने पर, आपको एक पुष्टिकरण संदेश दिखाई देगा। इंस्टॉलेशन को समाप्त करने के लिए Done पर क्लिक करें।
1.3 TallyPrime सक्रिय करना
इंस्टॉल करने के बाद, TallyPrime एप्लिकेशन खोलें। पहली स्क्रीन पर, आपको दो विकल्प दिखाई देंगे: Activate License और Use in Educational Mode। यदि आपके पास TallyPrime का लाइसेंस है, तो Activate License पर क्लिक करें। यदि आप केवल सॉफ्टवेयर का अभ्यास और अन्वेषण करना चाहते हैं, तो Use in Educational Mode चुनें।
लाइसेंस सक्रियण के लिए, आपको निम्नलिखित जानकारी प्रदान करनी होगी:
Serial Number (क्रम संख्या)
Activation Key (सक्रियण कुंजी)
E-mail ID (ईमेल आईडी)
सभी आवश्यक विवरण भरने के बाद, Submit बटन पर क्लिक करें। Tally Solutions आपके विवरण को सत्यापित करेगा, और सफल सत्यापन पर, आपका TallyPrime लाइसेंस सक्रिय हो जाएगा।
अध्याय 2: TallyPrime में एक नई कंपनी बनाना
एक बार जब TallyPrime सफलतापूर्वक स्थापित और सक्रिय हो जाता है, तो अगला कदम आपकी कंपनी बनाना है। TallyPrime खोलें, और मुख्य स्क्रीन पर आपको Create Company का विकल्प दिखाई देगा। इस पर क्लिक करें।
एक नई विंडो खुलेगी जहाँ आपको अपनी कंपनी से संबंधित विभिन्न विवरण दर्ज करने होंगे। ये विवरण आपकी वित्तीय रिपोर्ट और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों में उपयोग किए जाएंगे। निम्नलिखित जानकारी ध्यानपूर्वक भरें:
Company Name (कंपनी का नाम): अपनी कंपनी का आधिकारिक नाम दर्ज करें (उदाहरण के लिए, XYZ Enterprises)।
Company Address (कंपनी का पता): अपनी कंपनी का पूरा पता प्रदान करें।
Country (देश): ड्रॉप-डाउन सूची से अपनी कंपनी का देश चुनें।
State (राज्य): अपनी कंपनी का राज्य चुनें।
Pincode (पिनकोड): अपनी कंपनी के क्षेत्र का पिनकोड दर्ज करें।
Financial Year Start Date (वित्तीय वर्ष की शुरुआत की तारीख): वह तारीख निर्दिष्ट करें जिससे आपका वित्तीय वर्ष शुरू होता है (उदाहरण के लिए, 01-04-2024)।
Select Currency Symbol (मुद्रा प्रतीक चुनें): अपनी कंपनी द्वारा उपयोग की जाने वाली मुद्रा का प्रतीक चुनें (भारतीय रुपये के लिए ₹)।
Configure GST Details (जीएसटी विवरण कॉन्फ़िगर करें): यदि आपकी कंपनी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत पंजीकृत है, तो इस अनुभाग में आवश्यक विवरण कॉन्फ़िगर करें।
सभी आवश्यक जानकारी भरने के बाद, अपनी कंपनी को सहेजने के लिए कीबोर्ड पर Ctrl + A दबाएँ।
अध्याय 3: TallyPrime में लेज़र का निर्माण
लेज़र TallyPrime में वित्तीय लेनदेन को वर्गीकृत और ट्रैक करने के लिए मूलभूत इकाइयाँ हैं। प्रत्येक खाता, जैसे कि नकद, बैंक, बिक्री, खरीद, ग्राहक और आपूर्तिकर्ता, को एक अलग लेज़र के तहत दर्शाया जाता है। इस अध्याय में, आप सीखेंगे कि TallyPrime में लेज़र कैसे बनाए जाते हैं।
3.1 लेज़र निर्माण विंडो खोलना
लेज़र बनाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए, TallyPrime के मुख्य मेनू, जिसे Gateway of Tally के रूप में जाना जाता है, पर जाएँ। यहाँ से, Masters चुनें, फिर Create पर क्लिक करें, और अंत में Ledger का चयन करें।
3.2 लेज़र विवरण दर्ज करना
Ledger Creation स्क्रीन पर, आपको लेज़र से संबंधित विभिन्न विवरण दर्ज करने होंगे:
Ledger Name (लेज़र का नाम): लेज़र के लिए एक विशिष्ट और आसानी से पहचाने जाने वाला नाम दर्ज करें (उदाहरण के लिए, Cash Account, State Bank of India, Sales - Goods, Purchases - Raw Materials)।
Under (के तहत): यह सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। यहाँ, आपको उस उपयुक्त Ledger Group का चयन करना होगा जिसके अंतर्गत यह लेज़र आएगा। TallyPrime में पहले से ही विभिन्न पूर्वनिर्धारित समूह मौजूद हैं जो विभिन्न प्रकार के खातों को वर्गीकृत करते हैं। कुछ सामान्य समूह इस प्रकार हैं:
Sales Account: सभी प्रकार की बिक्री के लिए।
Purchase Account: सभी प्रकार की खरीद के लिए।
Bank Accounts: सभी बैंक खातों के लिए।
Cash-in-Hand: नकद लेनदेन के लिए।
Sundry Debtors: उन ग्राहकों के लिए जिनसे आपको पैसे लेने हैं।
Sundry Creditors: उन आपूर्तिकर्ताओं के लिए जिन्हें आपको पैसे देने हैं।
Add Opening Balance (उद्घाटन शेष राशि जोड़ें): यदि व्यवसाय की शुरुआत में या किसी विशिष्ट तिथि से आपके पास इस लेज़र से संबंधित कोई शेष राशि है, तो आप इस क्षेत्र में वह राशि दर्ज कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि आपके खाते सही शुरुआती बिंदु से शुरू हों।
3.3 लेज़र सहेजना
सभी आवश्यक विवरण दर्ज करने के बाद, लेज़र को सहेजने के लिए कीबोर्ड पर Ctrl + A दबाएँ। आपका नया लेज़र अब TallyPrime में लेनदेन रिकॉर्ड करने के लिए उपलब्ध होगा।
अध्याय 4: TallyPrime में स्टॉक समूह और आइटम बनाना
यदि आपका व्यवसाय वस्तुओं या उत्पादों में डील करता है, तो आपको TallyPrime में स्टॉक समूहों और स्टॉक आइटमों को व्यवस्थित करने की आवश्यकता होगी। स्टॉक समूह आपको समान प्रकार की वस्तुओं को एक साथ समूहित करने में मदद करते हैं, जबकि स्टॉक आइटम आपके द्वारा खरीदे और बेचे जाने वाले विशिष्ट उत्पाद हैं।
4.1 स्टॉक समूह बनाना
स्टॉक समूह बनाने के लिए, Gateway of Tally → Inventory Masters → Create → Stock Group पर जाएँ।
Stock Group Creation स्क्रीन पर, निम्नलिखित विवरण दर्ज करें:
Name (नाम): स्टॉक समूह के लिए एक वर्णनात्मक नाम दर्ज करें (उदाहरण के लिए, Electronics, Furniture, Garments)।
Under (के तहत): यहाँ, आप इस स्टॉक समूह के लिए एक मूल समूह का चयन कर सकते हैं। अधिकांश मामलों में, आप इसे Primary के रूप में सेट कर सकते हैं। यदि आप अधिक श्रेणीबद्ध संरचना बनाना चाहते हैं, तो आप एक मौजूदा स्टॉक समूह को भी मूल समूह के रूप में चुन सकते हैं।
विवरण दर्ज करने के बाद, स्टॉक समूह को सहेजने के लिए Ctrl + A दबाएँ।
4.2 स्टॉक आइटम बनाना
स्टॉक आइटम बनाने के लिए, Gateway of Tally → Inventory Masters → Create → Stock Item पर जाएँ।
Stock Item Creation स्क्रीन पर, निम्नलिखित जानकारी भरें:
Name (नाम): उस विशिष्ट स्टॉक आइटम का नाम दर्ज करें जिसे आप बना रहे हैं (उदाहरण के लिए, Laptop Model X, Office Chair - Leather, Cotton T-Shirt - Size M)।
Under (के तहत): ड्रॉप-डाउन सूची से उस Stock Group का चयन करें जिसके अंतर्गत यह आइटम आएगा।
Units (इकाइयाँ): इस स्टॉक आइटम के लिए माप की इकाई चुनें (उदाहरण के लिए, Nos (संख्या), Kg (किलोग्राम), Liters (लीटर), Meters (मीटर))। यदि आवश्यक इकाई सूची में नहीं है, तो आप Create विकल्प का उपयोग करके एक नई इकाई बना सकते हैं।
Opening Balance (उद्घाटन शेष राशि): यदि व्यवसाय की शुरुआत में आपके पास इस स्टॉक आइटम का कोई स्टॉक है, तो आप यहाँ प्रारंभिक Quantity (मात्रा) और Rate (दर प्रति इकाई) दर्ज कर सकते हैं। TallyPrime स्वचालित रूप से Value (कुल मूल्य) की गणना करेगा।
सभी आवश्यक विवरण दर्ज करने के बाद, स्टॉक आइटम को सहेजने के लिए Ctrl + A दबाएँ।
अध्याय 5: TallyPrime में जीएसटी विवरण सेट करना
यदि आपकी कंपनी जीएसटी के तहत पंजीकृत है, तो आपको TallyPrime में जीएसटी से संबंधित विवरण कॉन्फ़िगर करने की आवश्यकता होगी ताकि आपके लेनदेन सही ढंग से रिकॉर्ड किए जा सकें और जीएसटी रिटर्न तैयार किए जा सकें।
5.1 TallyPrime में जीएसटी सक्षम करना
जीएसटी को सक्षम करने के लिए, Gateway of Tally पर जाएँ और F11: Features बटन पर क्लिक करें (या कीबोर्ड पर F11 दबाएँ)। यहाँ, आपको विभिन्न कंपनी सुविधाओं की एक सूची दिखाई देगी। Enable Goods and Services Tax (GST) विकल्प खोजें और इसे Yes पर सेट करें।
जब आप इस विकल्प को Yes पर सेट करते हैं, तो एक नई स्क्रीन खुलेगी जहाँ आपको अपनी कंपनी से संबंधित जीएसटी विवरण दर्ज करने होंगे, जैसे कि आपका GSTIN Number (वस्तु एवं सेवा कर पहचान संख्या), राज्य, और जीएसटी लागू होने की तिथि। सभी आवश्यक जानकारी ध्यानपूर्वक भरें और स्क्रीन को सहेजने के लिए Ctrl + A दबाएँ।
5.2 आइटम के लिए जीएसटी दरें सेट करना
प्रत्येक स्टॉक आइटम पर लागू होने वाली जीएसटी दरों को परिभाषित करने के लिए, आपको प्रत्येक आइटम के मास्टर कॉन्फ़िगरेशन में बदलाव करना होगा। Gateway of Tally → Inventory Masters → Stock Items पर जाएँ और उस स्टॉक आइटम का चयन करें जिसके लिए आप जीएसटी दरें सेट करना चाहते हैं और Edit पर क्लिक करें।
स्टॉक आइटम मास्टर में, आपको Tax Details या इसी तरह का एक अनुभाग मिलेगा। यहाँ, आप इस आइटम पर लागू होने वाली विभिन्न जीएसटी दरों (जैसे, CGST, SGST, IGST दरें) को प्रतिशत में दर्ज कर सकते हैं। सुनिश्चित करें कि आप सही दरें दर्ज करते हैं क्योंकि ये आपके चालानों और जीएसटी रिटर्न में उपयोग की जाएंगी। विवरण दर्ज करने के बाद, स्टॉक आइटम को सहेजने के लिए Ctrl + A दबाएँ।
अध्याय 6: TallyPrime में खरीद और बिक्री रिकॉर्ड करना
एक बार जब आपने अपनी कंपनी, लेज़र, स्टॉक समूह और आइटम बना लिए हैं, और जीएसटी विवरण कॉन्फ़िगर कर लिए हैं, तो आप अपने व्यवसाय के दैनिक लेनदेन को रिकॉर्ड करना शुरू कर सकते हैं। यह अध्याय खरीद और बिक्री लेनदेन रिकॉर्ड करने की प्रक्रिया पर केंद्रित है।
6.1 खरीद प्रविष्टि रिकॉर्ड करना
जब आप अपने आपूर्तिकर्ताओं से माल या सेवाएँ खरीदते हैं, तो आपको TallyPrime में एक खरीद प्रविष्टि रिकॉर्ड करने की आवश्यकता होती है। ऐसा करने के लिए, Gateway of Tally → Accounting Vouchers → Purchase (F9) पर जाएँ।
Purchase Voucher स्क्रीन पर, निम्नलिखित विवरण दर्ज करें:
Supplier Invoice No. (आपूर्तिकर्ता चालान संख्या) और Date (तारीख): अपने आपूर्तिकर्ता द्वारा जारी किए गए चालान की संख्या और तारीख दर्ज करें।
Party A/c Name (पार्टी खाता नाम): ड्रॉप-डाउन सूची से अपने आपूर्तिकर्ता का लेज़र चुनें (उदाहरण के लिए, ABC Suppliers)। यदि आपूर्तिकर्ता का लेज़र मौजूद नहीं है, तो आप स्क्रीन पर ही Alt + C दबाकर एक नया लेज़र बना सकते हैं।
खरीदी गई Stock Items (स्टॉक आइटम) चुनें। प्रत्येक आइटम के लिए, Quantity (मात्रा) और Rate (दर प्रति इकाई) दर्ज करें। यदि जीएसटी लागू है, तो TallyPrime स्वचालित रूप से लागू करों की गणना करेगा यदि आपने आइटम मास्टर में जीएसटी दरें सही ढंग से कॉन्फ़िगर की हैं।
यदि लागू हो, तो आप चालान में शामिल अतिरिक्त शुल्कों या छूटों के लिए लेज़र भी जोड़ सकते हैं।
सभी आवश्यक विवरण दर्ज करने के बाद, खरीद प्रविष्टि को सहेजने के लिए Ctrl + A दबाएँ।
6.2 बिक्री प्रविष्टि रिकॉर्ड करना
जब आप अपने ग्राहकों को माल या सेवाएँ बेचते हैं, तो आपको TallyPrime में एक बिक्री प्रविष्टि रिकॉर्ड करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए, Gateway of Tally → Accounting Vouchers → Sales (F8) पर जाएँ।
Sales Voucher स्क्रीन पर, निम्नलिखित विवरण दर्ज करें:
Invoice No. (चालान संख्या) और Date (तारीख): अपनी कंपनी द्वारा जारी किए जा रहे बिक्री चालान की संख्या और तारीख दर्ज करें।
Party A/c Name (पार्टी खाता नाम): ड्रॉप-डाउन सूची से अपने ग्राहक का लेज़र चुनें (उदाहरण के लिए, XYZ Enterprises)। यदि ग्राहक का लेज़र मौजूद नहीं है, तो आप Alt + C दबाकर एक नया लेज़र बना सकते हैं।
बेचे गए Stock Items (स्टॉक आइटम) चुनें। प्रत्येक आइटम के लिए, Quantity (मात्रा) और Rate (दर प्रति इकाई) दर्ज करें। जीएसटी लागू होने पर, TallyPrime स्वचालित रूप से लागू करों की गणना करेगा।
आप भाड़ा या पैकेजिंग शुल्क जैसे अतिरिक्त शुल्कों के लिए लेज़र भी जोड़ सकते हैं।
सभी आवश्यक विवरण दर्ज करने के बाद, बिक्री प्रविष्टि को सहेजने के लिए Ctrl + A दबाएँ।
अध्याय 7: TallyPrime में भुगतान और प्राप्ति लेनदेन रिकॉर्ड करना
आपके व्यवसाय के संचालन में, आप विभिन्न प्रकार के भुगतान करेंगे और प्राप्त करेंगे। TallyPrime इन लेनदेन को कुशलतापूर्वक रिकॉर्ड करने के लिए विशेष वाउचर प्रदान करता है।
7.1 भुगतान प्रविष्टि रिकॉर्ड करना
जब आप किसी आपूर्तिकर्ता को भुगतान करते हैं या कोई व्यवसाय व्यय करते हैं, तो आपको एक भुगतान प्रविष्टि रिकॉर्ड करनी होती है। इसके लिए, Gateway of Tally → Accounting Vouchers → Payment (F5) पर जाएँ।
Payment Voucher स्क्रीन पर, निम्नलिखित विवरण दर्ज करें:
Account (खाता): उस बैंक या नकद लेज़र का चयन करें जिससे भुगतान किया जा रहा है।
Particulars (विवरण): उस व्यय खाते या आपूर्तिकर्ता लेज़र का चयन करें जिसे आप भुगतान कर रहे हैं।
Amount (राशि): भुगतान की जा रही राशि दर्ज करें।
Payment Mode (भुगतान का तरीका): यदि आप बैंक के माध्यम से भुगतान कर रहे हैं, तो चेक नंबर या अन्य प्रासंगिक विवरण दर्ज करें। आप Reference Number (संदर्भ संख्या) भी दर्ज कर सकते हैं।
सभी आवश्यक विवरण दर्ज करने के बाद, भुगतान प्रविष्टि को सहेजने के लिए Ctrl + A दबाएँ।
7.2 प्राप्ति प्रविष्टि रिकॉर्ड करना
जब आप किसी ग्राहक से भुगतान प्राप्त करते हैं या कोई अन्य आय प्राप्त करते हैं, तो आपको एक प्राप्ति प्रविष्टि रिकॉर्ड करनी होती है। इसके लिए, Gateway of Tally → Accounting Vouchers → Receipt (F6) पर जाएँ।
Receipt Voucher स्क्रीन पर, निम्नलिखित विवरण दर्ज करें:
Account (खाता): उस बैंक या नकद लेज़र का चयन करें जिसमें राशि प्राप्त हो रही है।
Particulars (विवरण): उस ग्राहक लेज़र या आय लेज़र का चयन करें जिससे राशि प्राप्त हो रही है।
Amount (राशि): प्राप्त राशि दर्ज करें।
Payment Details (भुगतान विवरण): यदि आपको चेक या किसी अन्य माध्यम से भुगतान प्राप्त हुआ है, तो प्रासंगिक विवरण दर्ज करें।
सभी आवश्यक विवरण दर्ज करने के बाद, प्राप्ति प्रविष्टि को सहेजने के लिए Ctrl + A दबाएँ।
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